वाराणासी से बिहार पहुंचाया जाता था जहरीली शराब बनाने का सामान, नींद की दवा मिलाकर तैयार किया जाता था जहर
Saran Liquor Case
Saran Liquor Case: बिहार के सारण में हुए शराब कांड के तार वाराणसी से भी जुड़े नजर आ रहे। इस मामले में पुलिस द्वारा वाराणसी के रहने वाले एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए गए व्यक्ति से पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वाराणसी से पकड़ा गया व्यक्ति इथेनॉल सप्लाई करता था। इथेनॉल का इस्तेमाल करते हुए बिहार में जहरीली शराब बनाई जाती थी। फिलहाल पकड़े गए व्यक्ति से पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है।
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होम्योपैथिक कंपनी से जुड़ा है आरोपी
बिहार जहरीली शराब कांड जांच पड़ताल में लगी टीम पकड़े गए लोगों से पूछताछ के आधार पर पिछले दिनों वाराणसी पहुंची थी। वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के बिरदोपुर के रहने वाले संजीव कुमार को पुलिस ने हिरासत में लिया। बताया गया कि सुधीर एक होम्योपैथिक कंपनी से जुड़ा था और उसमें मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के पद पर तैनात था। होम्योपैथिक दवा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इथेनॉल को वह छोटी छोटी बोतलों में भरकर सिरप बताते हुए एक ट्रांसपोर्टर के जरिए बिहार भेजा था। संजीव कुमार श्रीवास्तव को पकड़ने के साथ ही पुलिस रामकटोरा में स्थित ट्रांसपोर्टर के पास भी पहुंची थी। पुलिस का कहना है कि इथेनॉल का इस्तेमाल करते हुए उसमें रंग और पानी मिलाकर जहरीली शराब तैयार की गई थी।
टेगरा मोड़ इलाके में छुपकर रहता था आरोपी
पुलिस की जांच पड़ताल में यह भी बात सामने आई कि आरोपी संजीव कुमार टेगरा मोड़ के समीप एक फ्लैट भी खरीदा था। इस धंधे से जुड़ने के बाद संजीव कुमार द्वारा काफी रुपए कमाए गए। यह भी बताया जा रहा है कि बिहार शराब कांड के आरोपी राजेश कुमार से लगातार उसका संपर्क होता था। वाराणसी से इथेनॉल सप्लाई के दौरान आरोपी राजेश कुमार द्वारा संजीव कुमार के खाते में रुपए भी ट्रांसफर किए गए थे। ऐसे में संजीव कुमार से भी पुलिस द्वारा पूछताछ किया गया और उसके मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी खंगाली जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस धंधे में शामिल अन्य लोगों के बारे में भी जानकारियां जुटाई जा रही है और उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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नींद की दवा मिलाकर बनाई गई थी शराब
अभी बात सामने आ रही है कि वाराणसी से होम्योपैथिक दवा बनाने में इस्तेमाल की जा रही एथिल अल्कोहल अर्थात एथेनाल को ट्रांसपोर्टर के जरिए बिहार पहुंचाने के बाद उसका इस्तेमाल जहरीली शराब बनाने में किया गया। बनाई गई शराब पीने के बाद लोगों को नशा होने के लिए उसमें नींद की गोलियां भी मिलाई गई। यह भी बताया जा रहा है कि 500 ग्राम की एक बोतल एथिल अल्कोहल में चीनी, पानी, रंग और नींद की गोली तथा अन्य सामग्री मिलाई जाती थी। इस तरह एक बोतल एथिल अल्कोहल से चार से पांच बोतल शराब बनाई जाती थी।